कंबोडिया में रेस्तरां खोलकर डिजिटल ठगी करने वाला आरोपी गिरफ्तार: पूरी कहानी

कंबोडिया में रेस्तरां खोलकर डिजिटल ठगी करने वाला आरोपी गिरफ्तार: पूरी कहानी

भारत में डिजिटल ठगी के मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में, लखनऊ के डॉक्टर अशोक कुमार सोलंकी को डिजिटल ठगी का शिकार बनाकर 48 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मुख्य सदस्य सुरेश कुमार सैन को नई दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने कंबोडिया में अपना ठिकाना बना रखा था और वहीं से साइबर फ्रॉड का गोरखधंधा चला रहा था। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।

digital arrest

कंबोडिया में चल रहा था डिजिटल ठगी का नेटवर्क

सुरेश कुमार सैन ने कंबोडिया के कैंपोट शहर मेंमनोरथनाम से एक रेस्तरां खोल रखा था। इस रेस्तरां का उपयोग साइबर फ्रॉड कॉल सेंटर के लिए किया जाता था। आरोपी भारत के विभिन्न हिस्सों से युवाओं को नौकरी का लालच देकर कंबोडिया बुलाता और उन्हें साइबर ठगी का काम सिखाता।

गिरोह कॉल सेंटर के माध्यम से लोगों को ठगने के लिए सीबीआई, नारकोटिक्स और क्राइम ब्रांच के फर्जी अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट का झांसा देता। इसके अलावा, ऑनलाइन ट्रेडिंग और निवेश के नाम पर भी ठगी की जाती थी।

कैसे पकड़ा गया मुख्य आरोपी?

लखनऊ के डॉक्टर को ठगने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। सुरेश कुमार सैन, जो गिरोह का मुख्य सदस्य था, गिरफ्तारी से बचने के लिए कंबोडिया भाग गया था। लेकिन एसटीएफ को सूचना मिली कि वह 25 जनवरी को भारत लौटने वाला है। इसके बाद नई दिल्ली एयरपोर्ट से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपी ने किए चौंकाने वाले खुलासे

पूछताछ के दौरान, सुरेश ने बताया कि अप्रैल 2023 में वह कंबोडिया गया और वहां विभिन्न कॉल सेंटरों में काम किया। इन कॉल सेंटरों में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के लोगों को डिजिटल ठगी का शिकार बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। सुरेश ने लगभग 10 महीने तक इस ठगी नेटवर्क का हिस्सा रहते हुए 30 भारतीयों को कंबोडिया भेजा।

इसके अलावा, उसने मार्च 2024 में अपने साथी यासीन चौधरी से अलग होकर खुद का रेस्तरां खोल लिया। इसी रेस्तरां के पते पर कॉल सेंटर चलाए जाते थे और साइबर फ्रॉड के लिए लोगों को बुलाया जाता था।

ठगी का नेटवर्क कैसे काम करता था?

  1. आरोपी युवाओं को कंबोडिया बुलाने के लिए5 लाख रुपये लेता था।
  2. हर नए कर्मचारी को भर्ती कराने पर उसे 1000 अमेरिकी डॉलर का कमीशन मिलता था।
  3. कॉल सेंटर में लोगों को सीबीआई अधिकारी बनकर ठगी करने की ट्रेनिंग दी जाती थी।
  4. मुख्य टारगेट भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के लोग थे।

बरामद सामान

गिरफ्तारी के समय सुरेश कुमार सैन के पास से निम्नलिखित सामान बरामद हुआ:

    • 2 मोबाइल फोन
    • 1 पासपोर्ट
    • 2 कंबोडिया के इम्प्लॉयमेंट कार्ड
    • 1 एबीए बैंक कंबोडिया का एटीएम कार्ड
    • 1 फ्लाइट टिकट (कंबोडिया से नई दिल्ली)
    • 1 गेस्ट हाउस बुकिंग की रसीद
    • 1 कंबोडिया का सिम कार्ड
    • 3 सिम कार्ड होल्डर
    • 160 अमेरिकी डॉलर

निष्कर्ष

यह मामला डिजिटल ठगी के बढ़ते खतरे को उजागर करता है। कंबोडिया जैसे देशों में ठगी नेटवर्क चलाने वाले गिरोह भारतीय नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। हालांकि, एसटीएफ की सतर्कता से इस बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो गया। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।

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